मंगलवार, 16 मार्च 2010
चंदेरी एक छोटी सी दुनिया
मै आज अपने छोटे से शहर चंदेरी के बारे मै बात करना चाहती हूँ जाने क्यों आज मन हुआ की इस शहर के बारे मै कुछ लिखा जाए । वैसे तो काफी लोग इस पर किताबे लिख चुके है पर मै कोई इतिहास या भूगोल की बात नहीं करना चाहती । मुझे तो बस इस शहर को लेकर मेरे अनुभव लिखने का मन कर रहा है। वैसे तो काफी खुबसूरत शहर है हमारा चारो तरफ पहाड़ो से घिरा हुआ दूर तक फैली हरियाली । पुरानी इमारते जो आज भी अपनी दास्ताँ सुना रही है। छोटा सा बाज़ार जहाँ बस रोज़मर्रा की ज़रुरतो का सामान मिल जाता है। यहाँ के लोग जो साड़ी बुनकर या छोटा मोटा काम करके अपनी रोज़ी रोटी चलाते है। छोटे लोग है और उनकी ज़रूरते भी सीमित है बस दो वक़्त की रोटी और सर पर एक छत और सुकून भरी ज़िन्दगी । यहाँ की सबसे ख़ास बात है यहाँ की बनी हुई साडीया जो पूरी तरह हाथ से बनाई जाती है और देखने में बहुत खुबसूरत होती है । ये साडीयाख़ास तौर पे सिल्क से बनाई जाती है । पहले डिजाईन तैयार किया जाता है फिर उसको बुना जाता है एक एक तार पर उस डिजाईन को पिरोया जाता है कभी तो एक साडी एक दिन में बन जाती है तो कभी महीनो लग जाते है किस साडी को बनने में कितना समय लगेगा ये उसकी डिजाईन पर निर्भर करता है। पहले तो ये काम पूरीतरह हाथ से ही होता था पर आज नई तकनीक की मदद से यह काम कंप्यूटर के द्वारा हो जाता है और नई नई डिजाईन आसानी से बन जाती है । साड़ी की कीमत उसके डिजाईन पर निर्भर करती है । जितनी खुबसूरत डिजाईन उतनी ज्यादा कीमत । आज इस मशीनी युग में भी इस साड़ी ने अपनी अलग पहचान बना के रखी है। साड़ी के बाद जो यहाँ की सबसे ख़ास बात है वो है यहाँ की खुबसूरत इमारते। किला कोठी हो या बादल महल कटी घाटी या फिर सिंग पुर सभी अपने आप में अद्भुत है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को बरबस ही अपनी और खींच लेते है। आज शाशन की मदद से इन सभी इमारतो का रखरखाब किया जा रहा है तथा सभी इमारतो की खूबसूरती निखारने के प्रयास किये जा रहे है ताकि यहाँ आने वाले पर्यटकों की तादाद में इजाफा हो जिससे यहाँ के लोगो को रोज़गार के और अवसर भी प्राप्त हो। यहाँ की जनता वैसे तो काफी सुखी दोखाई देती है क्यूंकि वो हंसी में अपने गम छुपाना जानती है पर फिर भी यहाँ कई समस्याए है सबसे बदु समस्या तो अज्ञानता है यहाँ सभी लोग मजदूरी करके अपना पेट पालते है ऐसे में पदाई लिखाई का समय निकालना मतलब अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारना सा लगता है। पर अब कई संस्थाए इस विषय पर कार्य कर रही है और यहाँ के लोगो को ज्ञान के रास्ते पे ले के जा रही है।
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11 टिप्पणियां:
रोचक जानकारी, चंदेरी शहर की, देखने की उत्सुकता पैदा करने वाली. धन्यवाद.
mansoorali हाश्मी
http://aatm-manthan.com
अस्सलाम अलैकुम,
साहिबाआपने बहुत ही ख़ूबसूरती से अपनी बात रखने की कोशिश की है.
अल्लाह का करम है की अब ब्लॉग की दुनिया में कौम के लोगों की भागीदारी बढ़ रही है.ख़ुशी हुई.कभी मौक़ा मिले तो दीन और दुनिया की तरफ भी आयें.
वस्सलाम
छोटी जगह छोटी जरुर होती है किन्तु उनकी अपनी कला उन्हें ऊँचाई के मुकाम पर पहुंचती है|चंदेरी का कार्य तो पुरे भारत में प्रसिद्ध है|
आपकी UNTOUCHED STORIES ने वाकई TOUCH किया.. शहर बड़ा या छोटा नहीं होता अपना होता है.. जड़ों से जुड़े रहिये..
हमने भी एक UNTOUCHED सब्जेक्ट पर अपनी बात कही है... ख़ुशी होगी अगर आप उसे भी पढ़ें..
http://samvedanakeswar.blogspot.com
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
तालिब साहब से सहमत ..
आपके लेखन का अंदाज़ बहुत अच्छा लगा..
आप लिखती रहें ..और हम सभी को पढ़े के लिए नया नया कुछ मिलता रहे इसी दुआ के साथ हम सभी की शुभकामनाएं आपके साथ है.
excellent efforts, go on.... go on....
Bharat ke bunkar duniyame mashhoor hain..jantane haath karghese bane wastr istemal kar, is paramparako badhava dena chahiye...ashray dena chahiye..
रोचकता के साथ लिखा है पर मै अभी तक जान नहीं पाया कि चंदेरी है कहां,
सुन्दर आलेख । स्वागत है । लिखते रहे
गुलमोहर का फूल
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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