रविवार, 29 मार्च 2015

छोटी सी जीत

छोटी सी जीत


आनंदी ने अपने पति को काम में  उलझे देख कर पूछा की क्या मैं कुछ मदद करू ।  जवाब में हर बार की तरह एक रूखा सा उत्तर मिला तुम अपने किचन के काम देखो ये सब समझने की ज़रूरत नहीं है. और एकबार   फिर

यूनिवर्सिटी  की प्रथम श्रेढ़ी  से   पास आनंदी  मुँह नीचे कर काम करने लगी पर आँख के कोने
न जाने क्यों भीग गए।   तभी उनका बेटा स्कूलसे वापस आया वोकाफी  परेशान  था  पापा ने  बेटे को  परेशान  देख कर कहा  क्या हुआ बेटा  बेटा बोला प्रोजेक्ट बनाना है।  पापा  ने  कहा मैं कुछ मदद करू तो बेटा बिना पापा की तरफ देखे बोला आप रहने दो पापा ये सब आपको समझ  नहीं आएगा माँ है न।
अचानक आनंदी के चेहरे पे हलकी सी मुस्कान  तैर   गई  पर आँख के कोने दुबारा भीग गए।  

शुक्रवार, 27 मार्च 2015

Untouched stories: when i was in operation theater mera anubhav

Untouched stories: when i was in operation theater mera anubhav

when i was in operation theater mera anubhav

आज मेरा बेटा तीन साल का होने वाला है  आज भी  जब वो पल याद आते है तो दिल में सिहरन सी होने लगती हे रूह काँप जाती है जब डॉक्टर ने कहा था की अगर कुछ देर में मेरा ऑपरेशन न किया  बच्चे की  मेरी  ख़तरा हो सकता है  आनन फानन में सब तैयारी हो गई  मेरा रो रो के बुरा हाल था मुझे तो सुई लगवाने से भी  डर लगता था।  ऊपर वाले से अपने बच्चे  की सलामती की दुआ मांग रही थी सब मुझे दिलासा दे रहे थे आसपास मौजूद लोग भी अपने अनुभव सुना के मुझे तसल्ली दे रहे थे तो  कोई डॉक्टर और नर्सो को कोसरहे थे।  कोई कोईसास  आजकल की बहुओ के काम ना करने को वजह बता रही थी।  और  वहा मौजूद दाइया  जल्दी काम खत्म कर  घर जाने को बेताब थी।  डॉक्टर ने भी कह दिया की उसकी शिफ्ट दो बजे तक है उसके बाद वो चली जाएगी    अब मुझे अंदर जाने को कहा गया और डॉक्टरने  घरवालो से खून का  करने को बोला।  आखिर मुझे    ऑपरेशन थिएटर में लाया गया घरवालो को बाहर ही  दिया गया में अंदर एकदम अकेली थी दिल में अजीब   अजीब ख्याल  आ रहे थे तभी एक नर्स नेमुझे  स्ट्रेचर पे लेटने को कहा मैं चुपचाप लेट गई फिर एक वार्डबॉय आया उसने कहा की मैं यहाँ क्यों लेट गई मुझे तो अंदर जाना है और वो
नर्स को भलाबुरा कहक
र चला गया अब मैं
 अंदर
आ गई यहाँ एक दूसरी  ने मुझे ऑपरेशन के लिए तैयार किया और आखिरकार मैं ऑपरेशन
टेबल  तक पहुँच गई   बहुत घबरा रही थी   और ऊपरवाले से अपने बच्चे की सलामती की दुआ मांग रही थी और सोच रही थी की अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चे का क्या होगा
वो पल ज़िन्दगी का सबसे भयानक पल था मुझे
अपनी ज़िन्दगी और मौत दोनों नज़र आ रहे थे।और  डॉक्टर और नर्स आपस  में  बातें कर रहे थे डॉक्टर  काफी थकी  हुई थी वो सुबह से ४-५  ऑपरेशन कर चुकी थी और  उसकी उसकी उम्र के हिसाब से ये काम बहुत ज़्याडा  था डॉक्टर ने मुझसे पूछा की   मैं  क्या सोच  रही  हु  मैंने कहा सब ठीक होगा ना ? फिर वो हलके  से मुस्कुराई   और  मेरे सर पे हाथ  रखा और बोली हां।
फिर मुझे एक सुई चुभने का एहसास हुआ और मेरा बदन सुन  गया पर मेरा दिमाग और कान अभी भी काम  कर रहे थे।  अचानक मुझे  लग रहा था की मेरे बदन पे कई सारा बोझ रखा हो फिर किसी ने पूछा की मैं कुछ महसूस कर रही हु  क्या  ? मेरे  न कहने पर कुछ हल्का सी चुभन का एहसास हुआ  फिर  मुझे आवाज़  आई की डॉक्टर अपने असिस्टेंट को सही समय पर दवा न मंगवाने पर  घुस्सा हो रही थी और वह नर्स  आपस में छुट्टी ना होने की खुन्नस  निकाल  रही थी  मुझे  अचानक  उस   चूहे  की तरह लगा जिसपर प्रयोग किये जाते है डॉक्टर अपने असिस्टेंट को ठीक से काम करने  
 का तरीका सीखा  रही  थी  उनके  लिए  मैं सिर्फ  एक चीज़ थी  तभी  एक हल्का सा एहसास हुआ  और  लगा की मेरा जीवन सफल हो गया  नर्स  ने  हलके से मेरे  कान में कहा  बेटा हुआ है। मैंने  खुदा  का शुक्र अदा किया।
फिर मुझ  पे  पूरी  बेहोशी  छा  गई  जब होश आया तब  अपने फूल से  बच्चे  को  देखकर  सब दर्द  तकलीफ  ख़तम  हो गए।
           


बुधवार, 25 मार्च 2015

Untouched stories: waapsi

Untouched stories: waapsi

waapsi

आज काफी समय  के बाद कुछ लिख  हु पता नहीं  लिख पाऊँगी या नहीं नहीं।  पर कोशिश  करुँगी  की खुद को वापस ढून्ढ पाउ  आप सभी के साथ वापस जुड़ पाऊं। 
अब बच्चा बड़ा हो  अब उसे पुरे वक़्त मेरी ज़रूरत नहीं होती  तो अपने विचार आपके साथ बांटने की  करुँगी