बुधवार, 17 मार्च 2010
कुछ अनकही सी बाते
आज फिर एक नया दिन शुरू हुआ । हर नए दिन के साथ नयी शुरुआत होती है नई उमीद नई मंजिल । हर बार अपनी पुरानी यादो को पीछे छोड़ हम आगे बड जाते है। ज़िन्दगी यूँही चलती रहती है । हम दिनभर में जाने क्या क्या बाते करते है पर कभी नहीं सोचते की इन बातो से किसी को क्या फर्क पड़ता है । जाने अनजाने कही गई हमारी बाते किसी को कितना प्रभावित कर सकती है। कई बार अनजाने ही हमारी बाते किसी को नई प्रेरणा दे सकती है तो कभी किसी का दिल दुखा सकती है । मुझे आज भी याद है जब मै १२वी क्लास मै थी तब मेरे सर ने मज़ाक मै कहा था की मै कभी भी मेरी एक अन्य दोस्त से ज्यादा नंबर नहीं ला सकती उनकी वो बात मेरे दिल को गहरे तक छु गई मैंने मन मै ये संकल्प लिया की चाहे कुछ हो जाये मुझे सर को प्रूफ करके दिखाना है। मैंने दिन रात महनत की जिसका परिणाम भी मुझे मिला मुझे अपनी उस दोस्त से कही ज्यादा नंबर मिले । आज भी मै सर को धन्यवाद कहती हूँ की सिर्फ उनकी कही वो कुछ बातो ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी । पर कई बार यही बाते आपको इतना दुखी कर देती है की आप रोने पर मजबूर हो जाते है ।और चाहकर भी उस इंसान के बारे मै अच्छा नहीं सोच पाते । इसलिए जब भी बोले तो सोच समझ कर ही बोले क्यूंकि जुबा से कही गई बात दिल मै उतर जाती है।
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