सोमवार, 19 अगस्त 2013

छोडो कल की बाते कल की बात पुरानी ( नई जनरेशन और नए खेल )



छोडो कल की बाते कल की बात पुरानी
 ( नई जनरेशन और नए खेल ) 
कुछ समय पहले अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा की उनकी डेढ़ साल की पोती अपना IPAD खुद चलाती है जो भी एप्लीकेशन उसे देखना होती है उसको ओपन करती है और रन करती है मेरे घर पर मेरा बेटा जो अभी १ साल और कुछ महीनो का है पूरे टाइम मेरे मोबाइल पर या कंप्यूटर पर पोयम्स और  देखना पसंद करता है उसे   स्क्रीन मोबाइल को   चलाना  आता है रेसिंग  मोटो उसका पसंदीदा गेम है और स्क्रीन पे टच से होने वाले इफ़ेक्ट को वो समझता है और अगर कोई एप्लीकेशन उसे  बंद करनी हो तो वो  काम खुद ही कर लेता है. आज कल बच्चे जिस माहोल में रहते है वो उन्हें बहुत जल्दी तकनीकी समझ दे देता है मोबाइल कंप्यूटर और जाने कितनी नई तकनीक जो हम अब सीख पाए है उनकी जानकारी उन्हें बहुत जल्द हो जाती है आज सावन का आखिरी दिन है पर कही  की तरह सावन  के झूले नज़र नही  ना ही झुण्ड बना कर  चपेटे और गिप्पा खेलती लडकिया नज़र आती है बाजारों में राखियो पर भी डोरेमोन छोटा  भीम आदि ही नज़र आते है सब कुछ जैसे डिजिटल हो गया है पर यही तो  नई पीड़ी है और हमे इस को पूरा सहयोग देना चाहिए क्यूँकी हर सिक्के के दो पहलु होते है अगर आज हमारी पीड़ी आगे बड़ रही है  तभी तो वो कल नए भारत का निर्माण करेगी और हम अपने विचार उन पर  थोप नहीं सकते क्यूंकि आज बच्चो का दिमाग बहुत ज्यादा विकसित होता है क्यूँकी उन्हें संसार को जान्ने के मौके बहुत ज्यादा और बहुत जल्दी मिलते है और इतिहास की कहानिया कितनी लुभावनी क्यों ना हो भविष्य की चमक में खो ही जाती है एक दिन भविष्य को भी इतिहास बनना है तो क्यों ना हम अपनी नई जनरेशन को मौका दे की वो अपना इतिहास खुद बनाए।  बस अपने संस्कार और सभ्यता की विरासत को संभाल कर रखे पर इतिहास की कहानियो में खोकर कही भविष्य के बारे में विचार करना ना छोड़ दे इसीलिए तो कहते है की
छोडो कल की बाते कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी



सोमवार, 12 अगस्त 2013

स्वंत्रता दिवस एक विचार

स्वंत्रता दिवस एक विचार
हर साल की तरह इस बार भी १५ अगस्त आ गया और हर साल की तरह इस बार भी १५ अगस्त की छुट्टी होगी हम सब घूमने जायेंगे और घर पर किसी चैनल पर आने वाले देशभक्ति के गानों पर नाचते गाते सेलिब्रिटीज को देख कर खुश होंगे और फिर अपने बाकी बचे हुए काम करके सो जायेंगे यही हमारी आजादी हे क्यूंकि हमे ज़िन्दगी अपने तरीके से जीने की आजादी है क्या मतलब हमे देश से भाई हम आज़ाद है और हमारे लिए आजादी का मतलब सिर्फ अपने हिसाब से जीने से है जहा हमे कोई फिक्र न हो कोई रोक टोक न हो. पर क्या सिर्फ एक दिन हम अपने देश के बारे में नहीं सोच सकते क्या हम इतने खुदगर्ज़ है की हमें कोई फिक्र नहीं की देश के बॉर्डर पर क्या हो रहा है क्या हमें पता है की जम्मू कश्मीर में आज कल क्या हाल है क्या हमें फिक्र की की चारो और पानी ने जो तबाही मचाई है उन लोगो की जो उस तबाही में अपना सब कुछ खो चुके है
शायद नहीं वो सब तो न्यूज़ चैनल पर दीखता है सिर्फ उतनी ही देर याद रहता है और फिर सब भूल जाते है बड़े बड़े आन्दोलन होते है सब जोश से भर जाते है और फिर सब शांत। यहाँ तक की आन्दोलन चलाने वाले भी अपने हितपूर्ति में लग जाते है किसी को देश की फिक्र नहीं सब को अपनी फिक्र है नेता संसद में हंगामा करते है और जनता सडको पर पर बर्बाद तो देश को ही करते है

आखिर हम आज़ाद है हमें अपनी बात कहने का हक है पर अपनी बात कहने के लिए देश को बर्बाद करने का हक़ हमे किसने दिया। संसद भंग कर या पुतले जला कर या निर्दोष जनता को मारकर देश को किस दिशा में ले जाना चाहते है हम घटिया राजनीति और संक्रीन सोच हमारी सबसे बड़ी समस्या है
हम प्राथना करते है की इस बार हम इस सोच से ऊपर उठकर देश के उत्थान के लिए काम करेंगे
अगर हर देशवासी अपने देश के बारे में सोचे  तो हमारा देश सचमुच महान हो जायेगा
ज़रूरी नहीं की हम कोई महान काम करे भीड़ जुटाए पर छोटे छोटे काम भी हमारे देश के विकास में योगदान कर सकते है जैसे अपने आसपास से शुरुआत करे।  किसी ज़रूरतमंद की मदद करे.
नियमो का पालन करे आदि
हम आप सभी भारत वासियो को स्वन्त्रत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये देते है



रविवार, 11 अगस्त 2013

बिन पानी सब सून और जब पानी करदे सब सून

बिन  पानी सब सून और जब पानी करदे सब सून 

पानी ही पानी

मशहूर  दोहा है की
          " रहिमन  पानी रखिये बिन पानी सब सून "
पर इस  इस  हुआ है की  पानी ही पानी है और पानी ने सब सूना कर दिया    लोग बेघर हुए हजारो बर्बाद
हर जगह सिर्फ पानी ही पानी। और इतना पानी होने के बाद भी पीने के पानी  लोग।  सच है
               "अति सर्वत्र वर्जयेत  "
जब पानी न हो तो पानी ना होने का रोना और जब पानी अपने विशाल रूप में   दर्शन दे तो पानी बंद होने की दुआए मांगते लोग।  पर सच इस बार जितना पानी देखा उतना पहले कभी नहीं देखा हमारे शहर में भी सभी तालाब नदी नाले उफान पे है दुसरे शेहरो से संपर्क कट गया है।  दूध सब्जी और पीने का पानी सबकी किल्लत हो गई है सारे रास्ते पानी में डूबे है और बड़ो के साथ बच्चे भी परेशान है क्यूंकि वो भी खेल नहीं पा रहे है जो पहले स्कूल बंद होने की ख़ुशी मना रहे थे अब दोस्तों की याद करके रो रहे है और तो और ईद की रोनक को भी पानी ने फीका कर दिया क्यूंकि लगातार बरसते पानी की वजह से कोई किसी से मिल ही नहिपाया सब सारे दिन अपने घरो में  पानी बंद होने का इंतज़ार कर रहे थे पर पानी ने तो जैसे बंद ना होने की कसम ही खाई थी बाज़ार की रोनक भी कम रही।  लोग नए कपडे खरीदने से ज्यादा घरो की सीलन और छतो से टपकने वाले पानी को रोकने का सामान खरीदने में बिजी थे।  अब १५ अगस्त आ रहा है हम दुआ करते है की हम पूरे जोश और जूनून से स्वंत्रता दिवस मना पाएंगे।

आमीन

बुधवार, 7 अगस्त 2013

ज़िन्दगी का सफ़र

ज़िन्दगी का सफ़र



कभी वक़्त मिले तो सोचना की हमने अपनी ज़िन्दगी में कितना कुछ  कितना कुछ खोया
कभी किसी ने हमे धोका दिया तो कभी हमने किसी को धोका दिया कभी किसी ने हमसे झूठ बोला तो कभी हमने किसी से
बस ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़र गई हम ने सारी ज़िन्दगी दूसरो को  दी पर कभी खुद को समझने की कोशिश नहीं की हम क्या चाहते है हमारी क्या ख्वाहिशे  है  कभी वक़्त ही नहीं मिला  सोचने का  कभी घर वालो की ख़ुशी के लिए तो कभी बच्चो की ख़ुशी के लिए कभी दोस्तों की ख़ुशी के लिए बस करते रहे सब
और फिर भी किसी को भी खुश नहीं कर पाए आज भी हर इंसान को शिकायत है सही है जो इंसान खुद खुश न हो वो दूसरो को खुश   सकता है पर हम जिस समाज में रहते है हमने वह हमेशा यही देखा है की हमारी माँ कभी भी अपनी ख़ुशी नहीं देखती वो सिर्फ बच्चो की ख़ुशी में खुश हो जाती है पापा  पहनते है ताकि बच्चो के नए कपड़ो के लिए पैसे बचा सके  हम भी कहीं ना कहीं उसी परवरिश का एक हिस्सा है ये हमारे संस्कार है जो हम को खुश होने से रोकते है पर हमे अपनों से जोड़ते है और हम दूसरो की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूँढने लगते है
और साड़ी ज़िन्दगी दूसरो को खुश करके खुश होते रहते है   यही है ज़िन्दगी का सफ़र
कहते है न
अपने लिए जिए तो क्या जिए 
ये दिल ये जा  के लिए