छोडो कल की बाते कल की बात पुरानी
( नई जनरेशन और नए खेल )
कुछ समय पहले अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा की उनकी डेढ़ साल की पोती अपना IPAD खुद चलाती है जो भी एप्लीकेशन उसे देखना होती है उसको ओपन करती है और रन करती है मेरे घर पर मेरा बेटा जो अभी १ साल और कुछ महीनो का है पूरे टाइम मेरे मोबाइल पर या कंप्यूटर पर पोयम्स और देखना पसंद करता है उसे स्क्रीन मोबाइल को चलाना आता है रेसिंग मोटो उसका पसंदीदा गेम है और स्क्रीन पे टच से होने वाले इफ़ेक्ट को वो समझता है और अगर कोई एप्लीकेशन उसे बंद करनी हो तो वो काम खुद ही कर लेता है. आज कल बच्चे जिस माहोल में रहते है वो उन्हें बहुत जल्दी तकनीकी समझ दे देता है मोबाइल कंप्यूटर और जाने कितनी नई तकनीक जो हम अब सीख पाए है उनकी जानकारी उन्हें बहुत जल्द हो जाती है आज सावन का आखिरी दिन है पर कही की तरह सावन के झूले नज़र नही ना ही झुण्ड बना कर चपेटे और गिप्पा खेलती लडकिया नज़र आती है बाजारों में राखियो पर भी डोरेमोन छोटा भीम आदि ही नज़र आते है सब कुछ जैसे डिजिटल हो गया है पर यही तो नई पीड़ी है और हमे इस को पूरा सहयोग देना चाहिए क्यूँकी हर सिक्के के दो पहलु होते है अगर आज हमारी पीड़ी आगे बड़ रही है तभी तो वो कल नए भारत का निर्माण करेगी और हम अपने विचार उन पर थोप नहीं सकते क्यूंकि आज बच्चो का दिमाग बहुत ज्यादा विकसित होता है क्यूँकी उन्हें संसार को जान्ने के मौके बहुत ज्यादा और बहुत जल्दी मिलते है और इतिहास की कहानिया कितनी लुभावनी क्यों ना हो भविष्य की चमक में खो ही जाती है एक दिन भविष्य को भी इतिहास बनना है तो क्यों ना हम अपनी नई जनरेशन को मौका दे की वो अपना इतिहास खुद बनाए। बस अपने संस्कार और सभ्यता की विरासत को संभाल कर रखे पर इतिहास की कहानियो में खोकर कही भविष्य के बारे में विचार करना ना छोड़ दे इसीलिए तो कहते है की
छोडो कल की बाते कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
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