गुरुवार, 12 सितंबर 2013

एक नई कोशिश।

मुकद्दर में किसके क्या लिखा है ये तो ऊपर वाला ही जानता है हम तो सिर्फ कोशिश ही कर सकते है पर जब सब कुछ किस्मत में पहले से ही लिखा है तो कोशिश क्या करे आखिर होना तो वही है जो मुकद्दर में लिखा है हम कोशिश करेंगे अपनी किस्मत बदलने की और जब हार जायेंगे तो कहेंगे की किस्मत का लिखा कोन बदल सकता है हाँ जब भी हम हारते है तो यही तो कहते है की ये तो मरी किस्मत ही खराब है मेने तो पूरी कोशिश की थी पर  सच कई बार हम देखते है की कई लोग जिनको कोई ज्ञान नहीं होता या बिना कोई योग्यता के कई ऊंची पोस्ट पे काम करते है और जो लोग ज्ञान वान है वो उनकी जीहुजूरी करते है कोई सारा दिनमेहनत  करके भी दो रोटी नहीं कमा पाता और कोई बिना कुछ किये ऐश करता है कई सवाल जिनके जवाब हम नहीं ढून्ढ पाते क्यों आखिर क्यों कुछ लोग मिटटी को हाथ लगाये तो वो सोना बन जाती है और कुछ लोग सोने को भी मिटटी में बदल देते है कई बार हम किसी का बुरा नहीं चाहते फिर भी किसी का दिल दुख देते है और कई बार जो हमे बार बार दुःख देते है उनको खुश करने के लिए खुद को भी मिटा देते है कई बार हमे पता होता है की ये रास्ता हमे कभी मंजिल पे नहीं ले जायेगा फिर भी हम उस पर चलते रहते है कभी मंजिल सामने होने पर भी उस तक नहीं पहुँच पाते कभी हम किसी को नहीं समझ पाते तो कभी कोई हमे हर इंसान अपने आप में उलझा हुआ है अपने सवालों के जवाब ढूँढता रहता है सारी ज़िन्दगी यूँही सवालों में कट जाती है क्यूंकि वक्त तो नहीं रुकता हम भले ही रुक जाये
काश कभी ऐसा हो की हम को हमारे सवालों के जवाब मिल जाये जब हम सुबह जागे तो हमको पता हो की आज कुछ बुरा नहीं होगा सब ठीक होगा आज कोई नई उलझन नहीं आएगी पर खैर ये तो पंडित और ज्ञानी भी नहीं बता सकते की अगले पल क्या होने वाला है  तो हम क्या जाने।  इसलिए सब कुछ मुकद्दर पे छोड़ के अपना काम करते रहने में ही भलाई है हम तो सिर्फ कोशिश ही कर सकते है न हर बार एक नई कोशिश।

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