गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

story of a innocent girl

 आज एक पुरानी कहानी याद आ गई   एक लड़की की कहानी  जो अपनी आँखों में हज़ारो सपने लिए  अपनेघर से सैकड़ो किलो मीटर  दूर आई थी ताकि उच्च शिक्षा पाकर  माता पिता का नाम रोशन कर सके मेरी  मुलाक़ात उससे हॉस्टल में हुई   थी  .
वो मेरे सामने वाले रूम में थी और हॉस्टल में पहले दिन से ही हमारी दोस्ती भी हो  गई थी काफी खुशमिज़ाज और हेल्पफुल  थी  वो  पी एच   डी  करके नाम कमाना चाहती   थी इसलिए अक्सर रात को देर तक लाइब्रेरी   या
इंटरनेट पर  रिसर्च क रती रहती और अक्सर देर से आने पर वार्डन मेम की डांट भी सुनती  थी  एक दिन वो काफी  लेट हो गई सबने सोचा की  वो  वैसे भी देर से  ही आती थी wतो  आ जाएँगी पर जब डिनरके टाइम तक उनकी कोई खबर  नहीं आई  तो वार्डन मेम ने  हॉस्टल की अन्य लड़कियों से  पूछताछ शुरू की और साथ   साथ अच्छी डाँट भी पिलाई  सब लडकिया उन्हें कोस रही थी की उनकी
वजह से सब को डांट  सुनना पड़ी  पर जब  काफी देर तक उनकी कोई खबर नहीं  आई तो सब को फिक्र होने लगी तभी अचानक मेम ने सब को बुलाया और कहा की उनका पता चल गया है वो हॉस्पिटल में है और उनके साथ कुछ ऐसा हुआ हुआ है जो ठीक नहीं है साथ ही bहम लोगो को उनसे ना मिलने जाने की हिदायत भी दी गई मेम ने उन्हें काफी भलाबुरा भी कहा और उनके साथ जो कुछ भी हुआ उसका  सारा दोष उनको ही दिया   हम सब काफी घबरा गए थे  सब लोग अपने हिसाब  से अंदाजा लगा रहे थे की क्या हुआ  होगा पर कोई भी उस वक़्त उनके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था जबकि उस वक़्त उन्हें साथ की  सबसे    ज़्यादा ज़रूरत थी पर कोई हिम्मत नहीं कर पाया  आखिर उनके डिपार्टमेंट की एक सीनियर दीदी ने उनसे मिलने जाने का फैसला किया
उस रात किसी को भी नींद आई जब सुबह दीदी वापस आई और  उन्होंने बताया  की वो अभी भी  बेहोश है  और  उनकी हालत काफी सीरियस है उनके मम्मी  पापा को खबर दे दी गई है फिलहाल उनके लोकल गार्जियन अंकल उनके पास पास है तभी  हॉस्टल में  कुछ  पुलिस वाले आये और हम लोगो से उनके बारे में  पूछताछ  करने  लगे पर हमको तो पहले ही कुछ न बोलने के निर्देश निर्देश मिल चुके थे  और   मेम ने भी  कहा की वो गाडी   चलाना  सीख रही थी और गिर गई
पर जब अगले दिन हम अपनी अपनी क्लास  के  लिए   जा रहे   थे तो पास की झाड़ियो में उनका बेग पड़ा दिखा थोड़ा आगे एक दुपट्टा भी झाड़ियो में उलझा दिखा  ये निशाँ अपनी कहानी  आप बया कर रहे थे और हमे डरा रहे थे  हम सब दीदी के वापस  आने का इंतेजार कर रहे थे जब दीदी वापस आई तो उनको देख कर पहचानना मुशकिल था सूूजा हुआ चहरा बाहर को निकली आंखे और गले पर पडे निशान उनकी तकलीफ बया कर रहे थे पर यह तो ठीक होने वाले ज़खम थे पर जो चोट दिल पर लगी थी वो तो सारी उमर दुख देने वाली थी   उस पर एक और चोट यह कि मैम ने होसटल छोडने का आदेश दे दिया  जब हम लोग उनसे मिलने गए तो नम आंखो से अपनी दुख की कहानी हमे सुनाई 
वो शाम को जब वापस आ रही थी तो उनको लगा कि कोईउनका पीछा कर रहा है पीछे देखा तो एक साया सा नज़र आया जो तेज़ी से उनकी ओर आ रहा था वो ओर तेज़ कदमो से चलने लगी पर अचानक किसी ने उनपर वार किया और सुनसान राह पर झाड़ियो मे खींच लिया उसने पूरी ताकत से उनका गला दबा रखा था यहा तक कि वो चीख भी नही पाई  और बेहोश हो गई जब होश आया तो खुद को  झाड़ियो मे पड़ा पाया डर और तकलीफ से जूझते हुए बेबस सी बदहवास दौड़ती हुई पास मे रहने वाले अपनेअंकल के घर दौड़ी और फिर बेहोश हो गई और जब होश आया तो खुद को असपताल मे पाया 
उस दिन उनको अपने लड़की होने पर अफसोस हो रहा था उनके पापा उनको वापस ले जा रहे थे उनके सारे सपने आंसू बनके बह रहे थे हम सब दुखी थे पर मजबूर थे सब को पता था कि यह गलत है पर सब चुप थे  
आज इतने साल बाद भी दिल मे कही टीस सी होती है कि काश हम कुछ कर पाते

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