शनिवार, 19 मार्च 2016

CHANDERIYAN a gr8 experience



आप  लोग अगर चंदेरिया में जानना चाहते है तो www.chanderiyaan.chanderi.org पर जाकर पता   है  मैं इस पोस्ट सिर्फ अपने अनुभव अपने विचार लिख रही हूँ। 

आज  मैं  चन्देरियां  में अपने अनुभव को आप सब के साथ साझा कर रही हूँ  ये मेने इस जगह २ साल काम किया  और  ये समय मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छे अनुभब में से एक है बहुत कुछसीखा  लोगो की सही पहचान करना सही वक़्त  सही फैसला  लेना  परेशानियों  में भी हिम्मत से काम लेना  ज़िन्दगी का सही मतलसब  यही आकर समझ आया
जब मैं पहली बार यहाँ आई थी तो मुझे  ये भी नही पता था की ये क्या जगह है और यहाँ क्या होता है अपनी एक दोस्त के साथ बस वहा  देखने गई थी वहा  मेरी मुलाक़ात प्रोजेक्ट  हेडशाहिद अहमद से हुई उन्होंने ही मुझे उस प्रोजेक्ट की सही जानकारी दी  तब मुझे भी यह एहसास हुआ की ये केवल एक कदम नहीं बल्कि लोगो को नए रस्ते की और ले जाने की पहल है  एक ऐसी पहल जोआगे चलके इस   जगह की किस्मत बदल देगा
हमने जब काम     शुरुआत  की तब   लोग  इस  जगह को अजूबे की तरह देखते थे।  बच्चे सीखने आते  पर वो इस  काम संजीदगी  नहीं लेते।   फिर  जैसे की हम  भारतीयों का स्वाभाव है की हम परिवर्तन बर्दाश्त नहीं कर पाते यहाँ   भी  हमे विरोध का सामना करना पड़ा लोगो को लगा की कंप्यूटर के उपयोग से हाथ से डिजाईन बनाने की सदियो पुरानी परंपरा खतरे में पड़ जाएगी।

मुझे  याद है की मेरी  क्लास में १० कंप्यूटर  थे और  एक बैच में २०-२५ छात्र होते  थे  सुबह   ९  बजे  शाम  ५ बजे तक लगातार। हर  उम्र  के ५ साल से लेकर ५० साल तक के और अनपढ़ से लेकर ग्रेजुएट 
 और सभी  शिकायत करते की उनको पूरा पूरा वक़्त नही  मिल रहा।  शायद ये  हम  सबका स्वभाव ही है की हम सदा ज़्यादा की चाह रखते है।  एक बार छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी किया कोई बच्चा क्लास में नहीं आया और कुछ नेता बने छात्रों ने   धमकी भी दे डाली की वे  सिंधिया जी से शिकायत कर देंगे .  हर  सप्ताह  कोई न कोई जांच दल आ जाता था।  ये  देखने की कही सरकारी पैसे का दुरूपयोग नहीं हो रहा। 
ऊपर से बिजली की समस्या  दिन में कई कई घंटे बिजली गुल रहती।  इन्वर्टर भी काम नहीं कर पाते।  मई जून की वो जानलेवा गर्मी।  पर हमारे प्रोजेक्ट डायरेक्टर शाहिद सर हर बार समस्या का    समाधान  ढून्ढ लेते  और  हम लोगो की हिम्मत भी बढ़ाते रहते।  साथ ही सौम्य सर जो इतनी विषम परिस्तिथियों  में भी दिल्ली को छोड़ यहाँ रहकर हमारा साथ देते रहे। 

फिर  कुछ समय  बाद  हमारे यहाँ चंदेरी साडी की डिजाईन के लिए नया  सॉफ्टवेयर  आया  जिसकी मदद से
नई नई डिजाईन बनाना आसान हो गया।  कुछ चयनित व्यक्तियों को उसकी ट्रेनिंग के लिए मुम्बई भेजा गया फिर ऑनलाइन  ट्रेनिंग की मदद से उनको उस काम में  महारत हासिल।  और  जो डिजाईन बनने में पहले हफ़्तों लग जाते थे वो अब ही पलो में बन जाती।  साथ ही पुराने डिजाईन डिजिटाइज़ भी किया जा सकता था।
पहले लोगो को समझ नहीं आया फिर एक ऐसी विवादित डिजाईन आई जिसने अचानक ही चंदेरी साडी को चरचा में ला  दिया।  मौक़ा था कामनवेल्थ गेम्स  का  और  उसके लोगो  वाला स्टोल जो सभी खिलाड़ियों को दिए जाने वाले थे उनकी डिजाइनिंग का।
मैंने  इस  सन्दर्भ में एक शब्द  विवादित  उपयोग किया  है  क्योंकि उस दुपट्टे का लोगो डिजाईन करने का प्रोजेक्ट हमारी संस्था को नहीं बल्कि  हस्तशिल्प विकासनिगम   को मिला था।  पर वहा के डिज़ाइनर ने हमारी संस्था के एक ट्रेनी फुरकान   मदद  ले कर  डिजाईन  हमारे अधिकृत सॉफ्टवेयर से बनवा लिया। 
पर  मुझे  ये  बात ठीक नहीं लगी और मेने सर को   बात  बताई बस फिर क्या था  विवाद हुआ की  बस
और  आखिर  फुरकान को उसकी  मेहनत  फल  मिला और क्रेडिट  भी।  और  आज भी वो संस्था का स्टार डिज़ाइनर है। 



गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

story of a innocent girl

 आज एक पुरानी कहानी याद आ गई   एक लड़की की कहानी  जो अपनी आँखों में हज़ारो सपने लिए  अपनेघर से सैकड़ो किलो मीटर  दूर आई थी ताकि उच्च शिक्षा पाकर  माता पिता का नाम रोशन कर सके मेरी  मुलाक़ात उससे हॉस्टल में हुई   थी  .
वो मेरे सामने वाले रूम में थी और हॉस्टल में पहले दिन से ही हमारी दोस्ती भी हो  गई थी काफी खुशमिज़ाज और हेल्पफुल  थी  वो  पी एच   डी  करके नाम कमाना चाहती   थी इसलिए अक्सर रात को देर तक लाइब्रेरी   या
इंटरनेट पर  रिसर्च क रती रहती और अक्सर देर से आने पर वार्डन मेम की डांट भी सुनती  थी  एक दिन वो काफी  लेट हो गई सबने सोचा की  वो  वैसे भी देर से  ही आती थी wतो  आ जाएँगी पर जब डिनरके टाइम तक उनकी कोई खबर  नहीं आई  तो वार्डन मेम ने  हॉस्टल की अन्य लड़कियों से  पूछताछ शुरू की और साथ   साथ अच्छी डाँट भी पिलाई  सब लडकिया उन्हें कोस रही थी की उनकी
वजह से सब को डांट  सुनना पड़ी  पर जब  काफी देर तक उनकी कोई खबर नहीं  आई तो सब को फिक्र होने लगी तभी अचानक मेम ने सब को बुलाया और कहा की उनका पता चल गया है वो हॉस्पिटल में है और उनके साथ कुछ ऐसा हुआ हुआ है जो ठीक नहीं है साथ ही bहम लोगो को उनसे ना मिलने जाने की हिदायत भी दी गई मेम ने उन्हें काफी भलाबुरा भी कहा और उनके साथ जो कुछ भी हुआ उसका  सारा दोष उनको ही दिया   हम सब काफी घबरा गए थे  सब लोग अपने हिसाब  से अंदाजा लगा रहे थे की क्या हुआ  होगा पर कोई भी उस वक़्त उनके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था जबकि उस वक़्त उन्हें साथ की  सबसे    ज़्यादा ज़रूरत थी पर कोई हिम्मत नहीं कर पाया  आखिर उनके डिपार्टमेंट की एक सीनियर दीदी ने उनसे मिलने जाने का फैसला किया
उस रात किसी को भी नींद आई जब सुबह दीदी वापस आई और  उन्होंने बताया  की वो अभी भी  बेहोश है  और  उनकी हालत काफी सीरियस है उनके मम्मी  पापा को खबर दे दी गई है फिलहाल उनके लोकल गार्जियन अंकल उनके पास पास है तभी  हॉस्टल में  कुछ  पुलिस वाले आये और हम लोगो से उनके बारे में  पूछताछ  करने  लगे पर हमको तो पहले ही कुछ न बोलने के निर्देश निर्देश मिल चुके थे  और   मेम ने भी  कहा की वो गाडी   चलाना  सीख रही थी और गिर गई
पर जब अगले दिन हम अपनी अपनी क्लास  के  लिए   जा रहे   थे तो पास की झाड़ियो में उनका बेग पड़ा दिखा थोड़ा आगे एक दुपट्टा भी झाड़ियो में उलझा दिखा  ये निशाँ अपनी कहानी  आप बया कर रहे थे और हमे डरा रहे थे  हम सब दीदी के वापस  आने का इंतेजार कर रहे थे जब दीदी वापस आई तो उनको देख कर पहचानना मुशकिल था सूूजा हुआ चहरा बाहर को निकली आंखे और गले पर पडे निशान उनकी तकलीफ बया कर रहे थे पर यह तो ठीक होने वाले ज़खम थे पर जो चोट दिल पर लगी थी वो तो सारी उमर दुख देने वाली थी   उस पर एक और चोट यह कि मैम ने होसटल छोडने का आदेश दे दिया  जब हम लोग उनसे मिलने गए तो नम आंखो से अपनी दुख की कहानी हमे सुनाई 
वो शाम को जब वापस आ रही थी तो उनको लगा कि कोईउनका पीछा कर रहा है पीछे देखा तो एक साया सा नज़र आया जो तेज़ी से उनकी ओर आ रहा था वो ओर तेज़ कदमो से चलने लगी पर अचानक किसी ने उनपर वार किया और सुनसान राह पर झाड़ियो मे खींच लिया उसने पूरी ताकत से उनका गला दबा रखा था यहा तक कि वो चीख भी नही पाई  और बेहोश हो गई जब होश आया तो खुद को  झाड़ियो मे पड़ा पाया डर और तकलीफ से जूझते हुए बेबस सी बदहवास दौड़ती हुई पास मे रहने वाले अपनेअंकल के घर दौड़ी और फिर बेहोश हो गई और जब होश आया तो खुद को असपताल मे पाया 
उस दिन उनको अपने लड़की होने पर अफसोस हो रहा था उनके पापा उनको वापस ले जा रहे थे उनके सारे सपने आंसू बनके बह रहे थे हम सब दुखी थे पर मजबूर थे सब को पता था कि यह गलत है पर सब चुप थे  
आज इतने साल बाद भी दिल मे कही टीस सी होती है कि काश हम कुछ कर पाते

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

pehli mulaakaat meri dost ke sath

अगर मैं सुन्दर  न होती ?

सोचिये अगर मैं सुन्दर न होती तो क्या होता होता ?
तो मेरी बेस्ट फ्रेंड मेरी  दोस्त  न होती।  
है न मज़ेदार बात।  
तो हुआ   कुछ यूँ  की  यूनिवर्सिटी हॉस्टल में मेरा पहला दिन था और मैं सारा दिन की आपाधापी  के  बाद शाम  को मैं डिनर की घंटी का इंतज़ार  कर रही थी।
 मैं वहां किसी को जानती नहीं थी तो बाहर जाने से घबरा रही थी की कहीं
किसी सीनियर से न टकरा जाऊं। तभी मुझे लगा की कोई मुझे   बुला रहा है मैंने
बाहर निकल कर देखा तो हलके हरे रंग का सूट पहने एक  छोटी सी मोटी  सी लड़की मुझे  बुला रही थी वो तेज़ी से मेरे पास आई और बोली तुम क़ैसर हो न ?
मैंने कहा हां तो उसने बताया की वो मेरी क्लासमेट है। उसके बाद वो धपाक  पलंग पे लेट गई और जो पहली बात उसने बोली वो  यह थी
अच्छा हुआ भगवान की तुम सुन्दर हो वर्ना मैं तो   डर  रही थी की कहीं कोई काली सी गन्दी सी लड़की हुई तो मैं उसके साथ  कैसे रहूंगी।
मुझे तब उसकी यह बात बहुत बुरी लगी।
पर फिर मुझे लगा की वो बहुत मिलनसार और
मज़ेदार  लड़की है।  और फिर हम दोस्त बन गए  और ये दोस्ती आज भी कायम है और मुझे ख़ुशी है की हॉस्टल में हर तरह के दोस्त मिलनेसे सुंदरता को लेकर उसकी सोच भी बदल गई।
अब एक सवाल मेरे दोस्तों के लिए बताओ वो कोन  है ?

रविवार, 29 मार्च 2015

छोटी सी जीत

छोटी सी जीत


आनंदी ने अपने पति को काम में  उलझे देख कर पूछा की क्या मैं कुछ मदद करू ।  जवाब में हर बार की तरह एक रूखा सा उत्तर मिला तुम अपने किचन के काम देखो ये सब समझने की ज़रूरत नहीं है. और एकबार   फिर

यूनिवर्सिटी  की प्रथम श्रेढ़ी  से   पास आनंदी  मुँह नीचे कर काम करने लगी पर आँख के कोने
न जाने क्यों भीग गए।   तभी उनका बेटा स्कूलसे वापस आया वोकाफी  परेशान  था  पापा ने  बेटे को  परेशान  देख कर कहा  क्या हुआ बेटा  बेटा बोला प्रोजेक्ट बनाना है।  पापा  ने  कहा मैं कुछ मदद करू तो बेटा बिना पापा की तरफ देखे बोला आप रहने दो पापा ये सब आपको समझ  नहीं आएगा माँ है न।
अचानक आनंदी के चेहरे पे हलकी सी मुस्कान  तैर   गई  पर आँख के कोने दुबारा भीग गए।  

शुक्रवार, 27 मार्च 2015

Untouched stories: when i was in operation theater mera anubhav

Untouched stories: when i was in operation theater mera anubhav

when i was in operation theater mera anubhav

आज मेरा बेटा तीन साल का होने वाला है  आज भी  जब वो पल याद आते है तो दिल में सिहरन सी होने लगती हे रूह काँप जाती है जब डॉक्टर ने कहा था की अगर कुछ देर में मेरा ऑपरेशन न किया  बच्चे की  मेरी  ख़तरा हो सकता है  आनन फानन में सब तैयारी हो गई  मेरा रो रो के बुरा हाल था मुझे तो सुई लगवाने से भी  डर लगता था।  ऊपर वाले से अपने बच्चे  की सलामती की दुआ मांग रही थी सब मुझे दिलासा दे रहे थे आसपास मौजूद लोग भी अपने अनुभव सुना के मुझे तसल्ली दे रहे थे तो  कोई डॉक्टर और नर्सो को कोसरहे थे।  कोई कोईसास  आजकल की बहुओ के काम ना करने को वजह बता रही थी।  और  वहा मौजूद दाइया  जल्दी काम खत्म कर  घर जाने को बेताब थी।  डॉक्टर ने भी कह दिया की उसकी शिफ्ट दो बजे तक है उसके बाद वो चली जाएगी    अब मुझे अंदर जाने को कहा गया और डॉक्टरने  घरवालो से खून का  करने को बोला।  आखिर मुझे    ऑपरेशन थिएटर में लाया गया घरवालो को बाहर ही  दिया गया में अंदर एकदम अकेली थी दिल में अजीब   अजीब ख्याल  आ रहे थे तभी एक नर्स नेमुझे  स्ट्रेचर पे लेटने को कहा मैं चुपचाप लेट गई फिर एक वार्डबॉय आया उसने कहा की मैं यहाँ क्यों लेट गई मुझे तो अंदर जाना है और वो
नर्स को भलाबुरा कहक
र चला गया अब मैं
 अंदर
आ गई यहाँ एक दूसरी  ने मुझे ऑपरेशन के लिए तैयार किया और आखिरकार मैं ऑपरेशन
टेबल  तक पहुँच गई   बहुत घबरा रही थी   और ऊपरवाले से अपने बच्चे की सलामती की दुआ मांग रही थी और सोच रही थी की अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चे का क्या होगा
वो पल ज़िन्दगी का सबसे भयानक पल था मुझे
अपनी ज़िन्दगी और मौत दोनों नज़र आ रहे थे।और  डॉक्टर और नर्स आपस  में  बातें कर रहे थे डॉक्टर  काफी थकी  हुई थी वो सुबह से ४-५  ऑपरेशन कर चुकी थी और  उसकी उसकी उम्र के हिसाब से ये काम बहुत ज़्याडा  था डॉक्टर ने मुझसे पूछा की   मैं  क्या सोच  रही  हु  मैंने कहा सब ठीक होगा ना ? फिर वो हलके  से मुस्कुराई   और  मेरे सर पे हाथ  रखा और बोली हां।
फिर मुझे एक सुई चुभने का एहसास हुआ और मेरा बदन सुन  गया पर मेरा दिमाग और कान अभी भी काम  कर रहे थे।  अचानक मुझे  लग रहा था की मेरे बदन पे कई सारा बोझ रखा हो फिर किसी ने पूछा की मैं कुछ महसूस कर रही हु  क्या  ? मेरे  न कहने पर कुछ हल्का सी चुभन का एहसास हुआ  फिर  मुझे आवाज़  आई की डॉक्टर अपने असिस्टेंट को सही समय पर दवा न मंगवाने पर  घुस्सा हो रही थी और वह नर्स  आपस में छुट्टी ना होने की खुन्नस  निकाल  रही थी  मुझे  अचानक  उस   चूहे  की तरह लगा जिसपर प्रयोग किये जाते है डॉक्टर अपने असिस्टेंट को ठीक से काम करने  
 का तरीका सीखा  रही  थी  उनके  लिए  मैं सिर्फ  एक चीज़ थी  तभी  एक हल्का सा एहसास हुआ  और  लगा की मेरा जीवन सफल हो गया  नर्स  ने  हलके से मेरे  कान में कहा  बेटा हुआ है। मैंने  खुदा  का शुक्र अदा किया।
फिर मुझ  पे  पूरी  बेहोशी  छा  गई  जब होश आया तब  अपने फूल से  बच्चे  को  देखकर  सब दर्द  तकलीफ  ख़तम  हो गए।
           


बुधवार, 25 मार्च 2015

Untouched stories: waapsi

Untouched stories: waapsi

waapsi

आज काफी समय  के बाद कुछ लिख  हु पता नहीं  लिख पाऊँगी या नहीं नहीं।  पर कोशिश  करुँगी  की खुद को वापस ढून्ढ पाउ  आप सभी के साथ वापस जुड़ पाऊं। 
अब बच्चा बड़ा हो  अब उसे पुरे वक़्त मेरी ज़रूरत नहीं होती  तो अपने विचार आपके साथ बांटने की  करुँगी