छोटी सी जीत
आनंदी ने अपने पति को काम में उलझे देख कर पूछा की क्या मैं कुछ मदद करू । जवाब में हर बार की तरह एक रूखा सा उत्तर मिला तुम अपने किचन के काम देखो ये सब समझने की ज़रूरत नहीं है. और एकबार फिर
यूनिवर्सिटी की प्रथम श्रेढ़ी से पास आनंदी मुँह नीचे कर काम करने लगी पर आँख के कोने
न जाने क्यों भीग गए। तभी उनका बेटा स्कूलसे वापस आया वोकाफी परेशान था पापा ने बेटे को परेशान देख कर कहा क्या हुआ बेटा बेटा बोला प्रोजेक्ट बनाना है। पापा ने कहा मैं कुछ मदद करू तो बेटा बिना पापा की तरफ देखे बोला आप रहने दो पापा ये सब आपको समझ नहीं आएगा माँ है न।
अचानक आनंदी के चेहरे पे हलकी सी मुस्कान तैर गई पर आँख के कोने दुबारा भीग गए।